UPPSC के बाहर डटे 20 हजार छात्र अखिलेश यादव-केशव ने किया समर्थन

UPPSC के बाहर डटे 20 हजार छात्र अखिलेश यादव-केशव ने किया समर्थन

बंटेंगे न हटेंगे, थाली बजाएंगे

Purvanchal Today News:

 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में UPPSC परीक्षा को लेकर छात्रों का आंदोलन मंगलवार को भी जारी है। लोक सेवा आयोग कार्यालय के बाहर करीब 20 हजार छात्र सोमवार सुबह से ही धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने मंगलवार सुबह RAF जवानों के साथ राष्ट्रगान किया। साथ ही मुख्यमंत्री योगी के नारे की तर्ज पर कहा कि बंटेंगे न हटेंगे, थाली बजाएंगे।

उत्तर प्रदेश में उपचुनावों के बीच हुए छात्रों के इस आंदोलन को लेकर सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है।

उप मुख्यमंत्री केशव बोले-अधिकारी समाधान निकालें

डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने अधिकारियों को सुझाव देते हुए कहा, छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनकर शीघ्र समाधान निकालें। ताकि, वह अपना कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि तैयारी में लगा सकें। 


अखिलेश बोले-UP में योगी बनाम प्रतियोगी छात्र 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध हैं। भाजपा के एजेंडे में नौकरी हैं ही नहीं। कहा, यूपी में योगी बनाम प्रतियोगी छात्र जैसा माहौल है। भाजपा का पतन तभी नौकरियां आएंगी। सरकार से पूछा-छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोजर तो नहीं चलवाएगी। 

छात्रों को बरगला रहे लोग 

छात्रों का यह प्रदर्शन UPPSC द्वारा दो पालियों में प्रस्तावित परीक्षा को लेकर हो रहा है। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने सोमवार रात इस पर 7 पॉइंट में जवाब दिया है। कहा, दो पालियों में परीक्षा का निर्णय छात्रों के बेहतर भविष्य को देखते लिया गया है। कुछ लोग उन्हें बरगला रहे हैं।


आयोग के बीच बैठक बेनतीजा 

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पंकज पांडेय ने कहा, सोमवार रात कमिश्नर, DM और आयोग के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। आज हम सभी छात्र थाली बजाकर आयोग को जगाने का काम करेंगे। मंगलवार सुबह रैपिड एक्शन फोर्स जवानों के साथ उन्होंने राष्ट्रगान किया। 

नॉर्मलाइजेशन का भी विरोध 

यूपीपीएससी ने पर्सेंटाइल स्कोर निकालने का फॉर्मूला तो लागू कर दिया, लेकिन नॉर्मलाइजेशन कैसे करेंगे और यह फॉर्मूला वैज्ञानिक तौर पर कितना कारगार है, स्पष्ट नहीं किया गया। क्योंकि नॉर्मलाइजेशन वाली परीक्षाएं हमेशा विवादों में रहीं हैं।

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