Purvanchal Today News: (गोरखपुर) ये जो रोमियो हैं। रोमियो स्क्वायड है। इनकी खुद की परेशानी है। रोमियो पकड़े जाते हैं। स्क्वायड पकड़ता है। रोमियो खुद में सुधार के बजाय योगी को बदनाम करते रहते हैं। मुख्यमंत्री योगी को प्यार का दुश्मन बताकर उनको बदनाम करने में लगे ही रहते हैं, जबकि योगी इंसान तो इंसान पशु और पक्षियों तक से प्यार करते हैं। योगी के प्यार की ही हवा है कि सैकड़ों प्रेमी योगी के मुरीद हैं। योगी ने प्यार की जो बयार बहाई है उसने गुजरे चार साल। में गोरखपुर की आबो हवा बदलकर रख दी। जो रोमियो स्क्वायड के बहाने योगी पर प्रेम का विरोधी होने का आरोप लगाते हैं उन्हें योगी की कर्मस्थली गोरखपुर में आना चाहिए। यहां एक दो नहीं छह सौ से भी अधिक जोड़े योगी के प्यार की गवाही दे रहे हैं। ये वे प्रेमी हैं जो एक दूसरे बिछड़े पर खाना पीना छोड़ प्राण त्याग देते हैं। एक दूसरे के बगैर रह नहीं पाते हैं। लेकिन पिछले चार से पांच साल से न केवल इनकी जोड़ी सलामत है बल्कि इनका परिवार भी तेजी से बढ़ रहा है। प्रेम के प्रतीक ये जोड़े अपने प्यार की सुरक्षा में दर बे दर भटकने के बाद अब गोरखपुर में सुरक्षित हैं। 2021 में इनकी जमा संख्या मात्र 128 ही थी। तब इनपर योगी नजर पड़ी थी। पता चला था कि ये एकांत के अभाव में खुद को असुरक्षित समझते हैं और दर दर भटकते रहते हैं। ऐसे में इनकी संख्या घटती जा रही है। इसके बाद योगी ने इनके लिए गोरखपुर की आबोहवा को ठीक करने का निर्देश दिया। परिणामस्वरूप 2022 में इनकी संख्या 187 हो गई। फिर 2023 में 426 और इसी साल गर्मी में 675 हो गई।
परतावल तलाब और पोखरों के किनारे इन्हें जोड़े में देखा जा सकता है। जोड़े में इसलिए कि ये एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते। अगर बिछड़ जाते हैं तो एक दूसरे के वियोग में खाना पीना छोड़ प्राण त्याग देते हैं। इसीलिए इन्हें प्रेम के पंछी के रूप में जानते हैं और राज्य पक्षी के रूप में पहचानते हैं।
आप इन्हें सारस के नाम से जानते हैं।
इतिहास रामायणकालीन
सारस पक्षी का इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ है। रामायण के प्रथम श्लोक का श्रेय सारस पक्षी को जाता है। रामायण का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है। प्रातःकाल की बेला में महर्षि वाल्मीकि इसको देखते हैं, तभी एक शिकारी इस जोड़े में से एक की हत्या कर देता है। जोड़े का दूसरा पक्षी इसके वियोग में प्राण त्याग देता है।
विश्व का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी
सारस विश्व भर में सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी माना जाता है। सारस का वैज्ञानिक नाम ‘ग्रस एंटीगोन’ है। सारस को भारत में क्रौंच के नाम से जाना जाता है। सारस की गर्दन बहुत ही लम्बी होती है और पैर भी लम्बे होते हैं। विश्व में सारस की 8 प्रजातियां पाई जाती हैं।
नेपाल और भारत में ही पाए जाते हैं सारस
5 प्रजातियां भारत में पाई जाती है। 1 प्रजाति साइबेरियन क्रेन के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह प्रजाति 2002 से ही देखी नहीं गई है। सारस पक्षी की प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं। ज्यादातर सारस पक्षी नेपाल और भारत में ही पाए जाते हैं।
जीवन में सिर्फ एक से ही प्यार
सारस एक ऐसी प्रजाति है जिसे संकटग्रस्त घोषित कर दिया गया है। कुछ सालो में ये पक्षी सारे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। सारस पक्षी की संख्या करीब 10 से 12 हजार ही है। वैसे सारस पक्षी ज्यादा प्रवास नहीं करते हैं। वे एक ही स्थान पर रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इनकी खासियत यह है कि ये पूरे जीवन में एक ही बार जोड़ा बनाते हैं। सारस को प्रेम के प्रतिक के रूप में जाना जाता है। यह हमेशा जोड़ो में ही रहना पसंद करते हैं। इस पक्षी में नर और मादा को पहचान पाना मुश्किल होता है। यह एक ही जैसे दीखते है। लेकिन मादा नर के शरीर से छोटी पाई जाती हैं। सारस पूरे जीवन में एक ही बार जोड़ा बनाता है। पूरा जीवन उसके साथ ही बिताता है। कुछ कारण से एक की मौत हो जाए तो दूसरा भी कई दिनों तक बिना खाए ही रहता है। फिर कुछ दिनों के बाद उसकी भी मौत हो जाती है
पानी में भोजन की तलाश
सारस पक्षी को शाकाहारी माना जाता है। ये कंदमूल बीज और आनाज खाते हैं। वैसे ये कभी-कभी छोटे जीव भी खाना पसंद करते हैं। सारस ज्यादातर कम पानी में रहकर ही भोजन की तलाश करते हैं। वे गहरे पानी में नहीं जाते हैं। विश्व भर में सबसे अधिक वजन वाले सारस को रेड क्राउन क्रेन कहते हैं। सारस की चोंच काफी लंबी होती है। वो इससे अपने सारे भोजन को निगलता है।
523 किलोमीटर तक की उड़ान भरने की क्षमता
सारस की लम्बाई खड़े होने पर करीब 5 फिट तक होती है। इसका वजन 6 किलोग्राम होता है। सारस पक्षी एक ऐसा पक्षी है, जो 523 किलोमीटर तक की उड़ान भरने की क्षमता रखता है। ये आसमान में 35 से 40 हजार फिट ऊंचाई तक उड़ पाते हैं। इके दोनों पैर काफी मजबूत होते हैं।
वर्षा ऋतु पसंदीदा मौसम, बनाते हैं सम्बन्ध
सारस को वर्षाऋतु पसंद है। इसमें ये संबंध बनाते हैं। सम्बन्ध बनाने की शरुआत नृत्य से करते है। मादा सारस पक्षी एक बार में करीब 2 से 3 अंडे देने की क्षमता रखती है। नर और मादा सारस दोनों मिलकर ही अंडो को सहेजते हैं। अंडो से बच्चे निकलने में करीब 1 महीना का समय लगता है। इनके बच्चे 2 महीने में उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाते हैं। ये खाना भी खुद ही खा लेते हैं। सारस पक्षी का जीवनकाल 15 से 18 साल होता है, जो योगी के हवा देने से गोरखपुर में संरक्षित और सुरक्षित है।