Purvanchal Today News: (लखनऊ) यूपी का बुलडोजर एक है, नेक है और सेफ है। क्यों क्योंकि जिस बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर हुआ था वह बुलडोजर दिल्ली का है, यूपी का नहीं है। यूपी का बुलडोजर पाक साफ है। आगे भी इसी तरह पाक-साफ रहेगा। ऐसे में विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर बहुत उछलने की जरूरत नहीं है। योगी जी पर विश्वास नहीं है तो ओम प्रकाश राजभर से पूछ लो। कुछ विस्तार से समझना है तो भाजपा प्रवक्ता शिवम् श्रीवास्तव समझा देंगे।
जी हां, बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन और टिप्पणी पर यूपी सरकार व भाजपा की ओर से जो प्रतिक्रिया आई है उसका तो यही लब्बोलुआब बनता है। यह और बात है कि इस प्रकरण पर विपक्ष खास कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव योगी सरकार को घेर रहे हैं। एक एक बिन्दु पर बात करेंगे। पहले यूपी सरकार की प्रतिक्रिया को लेते हैं। योगी सरकार ने कहा है कि सुशासन की पहली शर्त होती है क़ानून का राज। इस दृष्टि से माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया फ़ैसला स्वागत योग्य है। इस फ़ैसले से अपराधियों के मन में क़ानून का भय होगा।
यहां तक तो ठीक है, लेकिन इसके साथ ये कहना कि मामला यूपी का नहीं है, इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि यूपी का बुलडोजर नेक है। तब भी जबकि हाल ही में महाराजगंज के प्रकरण में बुलडोजर कार्रवाई पर 25 लाख का जुर्माना लगा है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। यूपी सरकार के साथ-साथ सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी विधानसभा उपचुनाव प्रचार के दौरान इस पर प्रतिक्रिया दी और इसका स्वागत किया।
उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी
योगी सरकार की तरफ से कहा गया कि फैसले से माफ़िया प्रवृति के तत्व और संगठित पेशेवर अपराधियों पर लगाम कसने में आसानी होगी। कानून का राज सब पर लागू होता है। यह आदेश दिल्ली के संदर्भ में था, उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी। यह केस जमीयत उलेमा ए हिन्द बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य से संबंधित था। यूपी सरकार की तरफ से यह प्रतिक्रिया आई है। तब भी जबकि सुप्रीम कोर्ट की बुलडोजर एक्शन से जुड़ी गाइडलाइन सभी राज्यों पर लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट बुलडोजर एक्शन पर रोक वाले फैसले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा, सुशासन की पहली शर्त होती है क़ानून का राज। इस दृष्टि से माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आज दिया गया फ़ैसला स्वागत योग्य है। इस फ़ैसले से अपराधियों के मन में क़ानून का भय होगा।
यूपी के बुलडोजर को नेक बताने में यूपी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा, हम लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हैं। पहले भी कभी किसी निर्दोष पर बुलडोजर नहीं चला, लेकिन जिसने रेलवे की जमीन सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा था, उनके ऊपर बुलडोजर चला है। अब जो सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की है, उसी के आधार पर आगे कार्रवाई होगी। अब ओमप्रकाश राजभर को बताए कि जब कभी कुछ ग़लत नहीं हुआ तो 25 लाख का जुर्माना क्यों लगा। राजभर से अलग सपा प्रमुख
अखिलेश यादव पूरे प्रकरण को सीधे यूपी के बुलडोजर से जोड़ते हैं। प्रतिक्रिया में कहते हैं, इस सरकार का जो बुलडोजर प्रतीक बन गया था उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उसके लिए धन्यवाद देता हूं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस सरकार को जो बुलडोजर प्रतीक बन गया था। उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट में जो लाइनें रखी गयी हैं। वहां के जज साहब ने जो पढ़ा लाइनों को और जो बोला कोर्ट में, कोई भी लोकतंत्र में उस फैसले का स्वागत करेगा। हां, स्वागत योगी सरकार ने भी किया है, लेकिन अपने बुलडोजर को इससे अलग रखते हुए। बावजूद इसके कि देश की सियासत में योगी जी का बुलडोजर अहम रहा है।
यूपी के रास्ते सियासत में हुआ बुलडोजर का प्रवेश
यूपी में ही 2017 में पहली बार आरोपी और दोषी व्यक्ति के खिलाफ बुलडोजर एक्शन की शुरुआत हुई थी। धीरे-धीरे कार्रवाई का यह ट्रेंड देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंचा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 की रैली में बुलडोजर को अपना चुनावी सिंबल भी बना लिया था। उनकी हर रैली में बुलडोजर रखा जाता था और उसे दिखाकर योगी लोगों से अपील करते थे।
आंकड़े दे रहे यूपी के बुलडोजर की गवाही
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2017 से 2024 तक पूरे देश में 1900 से ज्यादा बुलडोजर की कार्रवाई हुई। इनमें सबसे ज्यादा बुलडोजर की कार्रवाई यूपी में हुई । यूपी में पिछले 7 साल में बुलडोजर की करीब 1500 कार्रवाई हुई। यह और बात है कि
यूपी सरकार के मुताबिक ये सभी कार्रवाई अवैध निर्माण पर की गई है, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बुलडोजर की कार्रवाई मुसलमान आरोपी देखकर की गई है। यह जरूर है कि यूपी में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए बीजेपी की सरकार ने क्राइम कंट्रोल को लेकर फौरी राहत पाई। आरोपी के घर गिरने से बैकफुट पर गई सरकार तुरंत फ्रंटफुट पर आ गई । इसकी वजह से बढ़ते क्राइम के बावजूद सरकार कभी सीधे घेरे में नहीं आई, लेकिन अब
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। क्राइम कंट्रोल को लेकर अब योगी सरकार को दूसरा मजबूत तरीका ढूंढना होगा। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बुलडोजर की कार्रवाई से योगी आदित्यनाथ की छवि को एक कठोर प्रशासक की बन गई। क्योंकि योगी को सियासी गलियारों में बुलडोजर बाबा की उपाधि दी गई। योगी भी इस उपाधि से खूब खुश थे और अपनी कार्रवाई को बेहतरीन कार्रवाई बताने लगे। हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर मचे घमासान पर योगी ने कहा था कि इसे चलवाने के लिए दिल और दिमाग की जरूरत होती है।
योगी लगभग अपनी हर रैली में बुलडोजर एक्शन की बखान करते रहे हैं। उनके इस बखान पर दर्शक ताली भी खूब पीटते रहे हैं, लेकिन अब सुप्रीम फैसले के बाद योगी आदित्यनाथ को अपनी छवि को मजबूत करने के लिए कोई और उपाय करना होगा।
दो साल बाद यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार के लिए यह ज्यादा ही टेंशन की बात है। यह भी सच है कि बुलडोजर की कार्रवाई पर यूपी में मुसलमान खुलकर नहीं बोल रहे थे। अब सियासी तौर पर खुलकर सामने आएंगे और 2027 के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे। पहले से ही पीडीए फार्मूले से बैकफुट पर चल रही योगी सरकार के लिए भी यह एक सियासी झटका साबित हो सकता है। बुलडोजर के कारण ही देशभर में योगी आदित्यनाथ बीजेपी की सियासत में अन्य मुख्यमंत्रियों की तुलना में बढ़त ले रहे थे. अब ये मुश्किल होगा। रही बात अपने बुलडोजर को नेक बताने की तो महाराजगंज में हाल ही में एक बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार और उससे जुड़े अधिकारियों से पीड़ित परिवार को 25 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया था। ऐसे में यूपी सरकार का यह तर्क कि बुलडोजर सिर्फ अवैध निर्माण पर ही चलाया गया, अपने आप निष्प्रभावी हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस
गाइडलाइंस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है और इसे कोई अधिकारी नहीं खत्म कर सकता है।
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराने का अधिकार न तो राज्य के पास है और न ही कार्यपालिका के पास। कोर्ट ने कहा कि हम न्याय करने के लिए बैठे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना नियम अगर किसी का घर तोड़ा जाता है तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने उन्हीं अधिकारियों से मुआवजा को लेकर जुर्माना वसूलने की बात कही है।
अनुच्छेद 142 के तहत फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सभी राज्य बुलडोजर एक्शन को लेकर सर्कुलर जारी करें और अपने अधिकारियों को हिदायत दें कि ऐसा न करना कोर्ट का अपमान होगा।